सूचना विभाग, टिहरी गढ़वाल | 20 जुलाई 2025
जानिए कोनेश्वर महादेव मंदिर देवलसारी की धरोहर और रहस्य′
जौनपुर ब्लॉक के सुरम्य गांव देवलसारी में स्थित कोनेश्वर महादेव मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह अपनी रहस्यमयी परंपराओं और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी प्रसिद्ध है। मसूरी से लगभग 50 किमी दूर इस शांत स्थान को टिहरी जिले की सांस्कृतिक धरोहर माना जाता है।
देवदार के घने जंगलों के बीच स्थित यह प्राचीन शिवालय 1600 के दशक में स्थापित बताया जाता है। किंवदंती के अनुसार, एक साधु को कुटिया बनाने के लिए खेत में स्थान न मिलने पर क्रोधित शिव ने यहां देवदार का जंगल उत्पन्न किया। इसी जंगल के बीच शिवलिंग के प्रकट होने के बाद ग्रामीणों ने यहां लकड़ी का मंदिर बनवाया, जिसे अब कोनेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है।
परंपरा और रहस्य से जुड़ा शिवालय
इस मंदिर की सबसे अनूठी परंपरा है इसकी परिक्रमा पद्धति — मंदिर में जलेरी (पीछे की दीवार) नहीं होने के कारण श्रद्धालु इसकी आधी नहीं बल्कि पूरी परिक्रमा करते हैं। साथ ही यहां शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले हजारों लीटर जल की निकासी कहां होती है, यह रहस्य आज भी बना हुआ है।
कैसे पहुँचें?
देवलसारी सड़क मार्ग से मसूरी होते हुए आसानी से पहुँचा जा सकता है। थत्यूड़ तक टैक्सी या स्थानीय बस सेवा उपलब्ध है। वहां से अंतिम पड़ाव पैदल तय कर या वाहन से जंगलों के मध्य किया जा सकता है। यह यात्रा रोमांच के साथ-साथ सौंदर्य का भी अनुभव कराती है।
कब जाएं?
देवलसारी आने का सबसे उपयुक्त समय मार्च से जून और सितंबर से नवंबर तक है। मानसून में क्षेत्र हरा-भरा तो होता है, लेकिन वर्षा यात्रियों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
- रहने की व्यवस्थाè
यहां गिने-चुने होमस्टे और गेस्टहाउस हैं, जो ग्रामीण जीवनशैली और आतिथ्य का नजदीकी अनुभव कराते हैं। सरल लेकिन आरामदायक सुविधाएं यहां उपलब्ध हैं।
प्रशासन की पहल
जिला सूचना कार्यालय टिहरी गढ़वाल द्वारा “टिहरी हेरिटेज सीरीज” के तहत इस तरह की सांस्कृतिक धरोहरों को जनमानस तक पहुंचाने और पर्यटन को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है।
