केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, देवप्रयाग में संस्कृत सप्ताह का भव्य शुभारंभ

संस्कृत के जयघोषों से गूंजी रघुनाथ और गंगा कि तीर्थ नगरी 

 

देवप्रयाग/टिहरी। श्री रघुनाथ की पावन नगरी संस्कृत के जयघोषों से गूंज उठी, जब केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, रघुनाथ कीर्ति परिसर में संस्कृत सप्ताह का रंगारंग शुभारंभ हुआ। सप्ताहभर चलने वाले इस आयोजन की शुरुआत कुलगीत के साथ हुई। उद्घाटन सत्र में अनेक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और प्रतियोगिताओं ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

मुख्य अतिथि और परिसर की सह-निदेशिका प्रो. चंद्रकला आर. कोंडी ने उद्घाटन करते हुए कहा, “संस्कृत को केवल पुस्तकों तक सीमित न रखकर जीवन व्यवहार में अपनाना समय की आवश्यकता है। जब कोई भाषा जनजीवन और रोजगार से जुड़ती है, तभी उसका वास्तविक संरक्षण और प्रचार संभव होता है।”

विशिष्ट अतिथि डॉ. शैलेन्द्र नारायण कोटियाल ने छात्रों को आलस्य त्याग कर विद्या अर्जन के प्रति गंभीर होने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि वर्तमान का तप ही भविष्य की सफलता की नींव है। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. पी.वी.बी. सुब्रह्मण्यम ने की और संचालन डॉ. ऋतेशा द्वारा किया गया।

कार्यक्रम के पहले दिन आयोजित प्रश्नमंच प्रतियोगिता में गौतम गण (लोकेशचंद्र, मयंक तिवारी, मुकुल प्रजापत) ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। पतंजलि गण और पाणिनि गण क्रमशः द्वितीय और तृतीय स्थान पर रहे।
श्लोक अंत्याक्षरी में नीरज रिजाल प्रथम, दीपक द्वितीय, शुभम तृतीय रहे।
सूत्र अंत्याक्षरी में शुभम ने प्रथम स्थान प्राप्त किया, जबकि उन्नति और आस्था ने क्रमशः द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त किया।

संस्कृत सप्ताह के अंतर्गत विश्वविद्यालय के छात्रों ने पारंपरिक वेशभूषा और हाथों में संस्कृत के स्लोगन लिए नगर में भव्य संस्कृत शोभायात्रा निकाली। यह यात्रा परिसर के खेल मैदान से शुरू होकर बाह बाजार, नया पुल होते हुए संगम पहुंची। यहां विद्यार्थियों ने श्रीरामरक्षा स्तोत्र का पाठ किया और श्री रघुनाथ मंदिर में दर्शन कर संस्कृत के संरक्षण का संकल्प लिया।

शोभायात्रा का संयोजन डॉ. सूर्यमणि भंडारी और मार्गदर्शन प्रो. पीवीबी सुब्रह्मण्यम द्वारा किया गया। इस अवसर पर डॉ. ब्रह्मानंद मिश्र, डॉ. धनेश, डॉ. सोमेश बहुगुणा, डॉ. सुरेश शर्मा, डॉ. ऋतेशा सहित कई प्राध्यापक उपस्थित रहे।

संयोजक डॉ. सूर्यमणि भंडारी ने बताया कि आने वाले दिनों में शास्त्र कंठपाठ, संस्कृत गीत प्रतियोगिता जैसे कार्यक्रम आयोजित होंगे। इसके अतिरिक्त श्रावणी पर्व के अंतर्गत विद्यार्थी गंगा स्नान कर पुराना यज्ञोपवीत त्याग कर नया यज्ञोपवीत धारण करेंगे। सप्ताह के अंत में प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया जाएगा।

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