देवप्रयाग टाईम्स। यहां मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति ध्दारा बद्री केदार धर्मशाला में बैठक का आयोजन किया गया बाद में संयोजक लुशुन टोडरिया के नेतृत्व में सोमवार को भागीरथी नदी के तट पर जमकर नरे बाजी करते हुए विरोध स्वरूप स्थाई निवास प्रमाणपत्रों की प्रतियाँ फाड़कर नदी में बहा दी गईं।
इस मौके पर टोडरिया ने कहा कि सरकार की नीतियाँ उत्तराखंड के मूल निवासियों के साथ “विश्वासघात” हैं और बाहरी लोगों को जमीन खरीदने की छूट देकर राज्य की जनसांख्यिकी बदलने की साजिश चल रही है । गढ़वाल संयोजक अरुण नेगी ने कहा कि पूरा उत्तराखंड 1950 को कटऑफ वर्ष मानने की मांग कर रहा है, लेकिन सरकार 1985 को अपनाकर मूल निवासियों के अधिकारों का हनन कर रही है। केंद्रीय सचिव मनोज कोठियाल ने कहा कि आज देवप्रयाग भागीरथी नदी में जो दस्तावेज़ बहे, वे इतिहास के पन्नों में एक चेतावनी बनकर दर्ज होंगे। मूल निवास भू कानून संघर्ष समिति आने वाले दिनों में प्रत्येक ज़िले में इसी प्रकार के प्रतीकात्मक कार्यक्रमों के माध्यम से जनजागरण अभियान चलाएगी और राज्य सरकार से मूल निवास कानून की पुन बहाली की मांग को और अधिक मुखरता से उठाएगी। महिला प्रकोष्ठ संयोजक कुशुम जोशी ने आरोप लगाया कि भू-माफियाओं ने सरकारी संरक्षण में उत्तराखंड की जमीनों पर कब्जा कर लिया है, जिससे स्थानीय लोग अपने ही घरों में नौकर बन गए हैं। अन्य वक्तावो ने अपने विचार रखते हुए आंदोलन की रणनीति पर मंथन किया कहा कि अब जल, जंगल, जमीन और गंगा की संस्कृति को बचाने के लिए मूल निवासी एकजुट हो चुके हैं। और सरकार न मानी तो बड़े आंदोलन की तैयारी होगी । मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के सयोजक टोडरिया ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने मांगें नहीं मानीं, तो उत्तराखंड राज्य आंदोलन से भी बड़ा संघर्ष शुरू होगा। उन्होंने कहा, हर बच्चा, युवा, महिला और बुजुर्ग इस लड़ाई में साथ है। इस मौके पर जिला पंचायत सदस्य देवेंद्र भट्ट यूकेडी जिलाध्यक्ष अर्जुन नेगी ,सीएम चौहान उषा डोभाल,सभासद विमल मिश्र और राहुल कोटियाल,अशुतोष कोठारी,देवेंद्र, हेमा रावत,मनोज कोठीवाल, बेलवाल,बॉबी रांगड़ राहुल,दिनेश टोडरिया, विकास ,मातवर, गुलाब सिंह, सोहनलाल, विनोद चौहान, आशुतोष शर्मा,अनिल डोभाल समेत कई लोग मौजूद थे।
भागीरथी तट पर मूल निवास भू कानून को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया
