देवप्रयाग/टिहरी गढ़वाल, 30 अगस्त 2025
क्या है ‘टिहरी’ नाम की असली पहचान?”
“टिहरी शब्द की जड़ों तक – इतिहास और लोककथाओं से जुड़ी सच्चाई”
“टिहरी नाम के पीछे क्या है वास्तविकता”
टिहरी गढ़वाल के नाम की उत्पत्ति ऐतिहासिक, धार्मिक और भाषाई संदर्भों से जुड़ी हुई है। यह नाम “टिहरी” वास्तव में “त्रिहरी” शब्द से निकला हुआ माना जाता है, जिसका अर्थ होता है — तीन प्रकार के पापों का हरण।
संस्कृत मूल के इस शब्द में त्रि = तीन तथा हरि = हरण करने वाला है। यह मान्यता है कि टिहरी वह स्थान है जहाँ तीन नदियाँ — भागीरथी, भिलंगना और घृतगंगा — आपस में मिलती हैं। यह संगम स्थल मानसिक, वाचिक और कायिक पापों को हरने वाला माना गया, इसलिए इसे “त्रिहरी” कहा गया, जो समय के साथ बदलकर “टिहरी” बन गया।
टिहरी का इतिहासभागीरथी और भिलंगना नदियों के संगम पर बसा यह क्षेत्र प्राचीन समय में गणेश प्रयाग कहलाता था। मान्यता है कि सृष्टि से पूर्व भगवान ब्रह्मा ने यहीं तपस्या की थी। गढ़ का अर्थ किला या दुर्ग होता है, और यही से “टिहरी गढ़वाल” नाम की संकल्पना बनी।
18वीं शताब्दी तक यह क्षेत्र गढ़वाल रियासत का हिस्सा था। 1803 में गोरखाओं के आक्रमण के बाद, राजा सुदर्शन शाह ने अंग्रेजों की सहायता से 1815 में गोरखाओं को पराजित किया और टिहरी रियासत की स्थापना की। उसी वर्ष उन्होंने राजधानी को श्रीनगर से टिहरी स्थानांतरित किया। तभी से यह शहर टिहरी गढ़वाल के नाम से प्रसिद्ध हुआ।पर्यटन नगरी टिहरीटिहरी धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के साथ-साथ अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी विख्यात है। बर्फ से ढकी चोटियाँ, हरित घाटियाँ और शांत झीलें यहाँ आने वालों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं।
टिहरी बांध और इसके कारण बनी टिहरी झील आज पर्यटकों के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र है। झील के शांत जल में कयाकिंग, जेट-स्कीइंग और पैरासेलिंग जैसे रोमांचकारी खेल आयोजित होते हैं। सूर्योदय और तारों भरी रातें यहाँ के अनुभव को और खास बना देती हैं।
साहित्यिक उल्लेखगढ़वाल का इतिहास” – पं. हरिकृष्ण रतूड़ी: टिहरी नाम को ऐतिहासिक आधार प्रदान करने वाली पहली प्रामाणिक पुस्तक।“उत्तराखंड का इतिहास” – डॉ. शिवप्रसाद डबराल ‘शिव’: टिहरी नाम की उत्पत्ति “त्रिहरी” से बताई।
“गढ़वाल गाथा” – बच्चन सिंह: लोककथाओं और सांस्कृतिक दृष्टि से टिहरी नाम का वर्णन।“उत्तराखंड का सांस्कृतिक इतिहास” – डॉ. अजय सिंह रावत: टिहरी नाम को धार्मिक और पौराणिक दृष्टिकोण से परिभाषित किया।
“उत्तराखंड का नवीन इतिहास” – प्रो. यशवंत सिंह कठोच: टिहरी रियासत और नाम के भौगोलिक-सांस्कृतिक पक्षों का विस्तृत वर्णन।निष्कर्ष टिहरी का नाम केवल भौगोलिक पहचान भर नहीं है, बल्कि यह धार्मिक आस्था, ऐतिहासिक घटनाओं, भाषाई रूपांतरणों और सांस्कृतिक मान्यताओं का संगम है।
