ज्योतिष से खगोल तक… आचार्य जोशी की धरोहर आज भी प्रेरणा का स्रोत”
नक्षत्र वेधशाला की धरोहरों के संरक्षण की मांग उठी
देवप्रयाग/टिहरी (गिरीश भट्ट )
प्रसिद्ध विद्वान, खगोलविद् एवं समाजसेवी स्व. आचार्य चक्रधर जोशी की 45वीं पुण्यतिथि पर वेदशाला मे श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया, जिसमें समाज में उनके योगदान को याद कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई।
इस अवसर पर उनके पुत्र प्रभाकर जोशी और भास्कर जोशी ने वर्ष 1946 में स्थापित नक्षत्र वेधशाला में संरक्षित प्राचीन धरोहरों एवं दुर्लभ पांडुलिपियों को संरक्षित किए जाने की मांग सरकार से की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ज्ञान भारतम् योजना के अंतर्गत इन पांडुलिपियों को सुरक्षित करने के ठोस कदम उठाए जाएं।
स्व. आचार्य चक्रधर जोशी ने गढ़वाल क्षेत्र के अनेक प्राचीन शिलालेखों को सामने लाने के साथ ही ज्योतिष, आयुर्वेद, वास्तु, रसायन तंत्र-मंत्र आदि की दुर्लभ पांडुलिपियों का संग्रह किया था। वेधशाला में विदेशी टेलीस्कोपों एवं पारंपरिक भारतीय खगोलीय यंत्रों का भी संग्रह मौजूद है। आज इनदुर्लभ पांडुलिपियों और प्राचीन खगोलीय धरोहरों के संरक्षण की जरूरत।
आचार्य जोशी द्वारा देवप्रयाग महाविद्यालय सहित कई संस्थानों की स्थापना की गई। ज्योतिष शास्त्र में उनकी ख्याति ऐसी थी कि देश के अनेक शीर्ष नेता समय-समय पर उनसे परामर्श लेने आते थे।
हाल ही में सांसद अनिल बलूनी एवं राज्य के कई वरिष्ठ मंत्री भी वेधशाला और उनके जर्जर अध्ययन कक्ष उत्तरायण का दौरा कर चुके हैं। सांसद बलूनी ने इसके पुनर्निर्माण का आश्वासन दिया था।
श्रद्धांजलि सभा में प्रदीप कपूर, योगेंद्र मावी, शेखर भट्ट, प्रेमगिरी महाराज, भूपेंद्र भट्ट, हरिओम उनियाल, रजनी जोशी, विजयलक्ष्मी, गिरीश कोटियाल, सृष्टि जोशी सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।