देवप्रयाग टिहरी गढ़वाल। जिलाधिकारी नितिका खण्डेलवाल ने शुक्रवार देर सांय उत्तराखण्ड वन संसाधन प्रबन्धन परियोजना एवं राज्य की अन्य योजनाओं के मध्य अभिसरण सुनिश्चित करने को लेकर जिला परामर्शदात्री समिति की बैठक ली।
डीएफओ टिहरी डैम वन प्रभाग प्रथम संदीपा शर्मा ने बताया कि एफएसआई की वर्ष 2011 की रिपोर्ट के अनुसार अधिकांश वन मध्यम एवं खुले वन की श्रेणी में आते हैं, जिन पर मानव बस्तियों के निकट होने के कारण अतिरिक्त जैविक दबाव बढ़ा है। इन वनों की स्थिति में सुधार एवं वृद्धि के लिए स्थानीय समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए परियोजना चलाई जा रही है। उन्होंने बताया कि जायका परियोजना के अंतर्गत धारकोट और नैलचामी रेंज की 53 वन पंचायतों का चयन किया गया है। अब तक 103 स्वयं सहायता समूहों को 51 लाख 50 हजार रुपये का रिवॉल्विंग फंड वितरित किया जा चुका है।
रेंज ऑफिसर मसूरी वन प्रभाग लतिका भट्ट ने रायपुर रेंज में वृक्षारोपण कार्य, मसूरी रेंज की नर्सरी में औषधीय व हर्बल पौधों के उत्पादन और मालदेवता में अखरोट नर्सरी की जानकारी दी। साथ ही जौनपुर रेंज में ट्रैकिंग रूट, ग्राफ्टिंग प्रशिक्षण और इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने पर बल दिया।
नरेंद्रनगर वन प्रभाग के किशोर उनियाल ने बताया कि जायका परियोजना के तहत 65 वन पंचायतों में मृदा संरक्षण कार्य किए गए हैं तथा 120 से अधिक स्वयं सहायता समूहों का पंजीकरण हुआ है। साथ ही एप्पल, दूध और शहद उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
जिलाधिकारी ने बैठक में आधारभूत कार्य पूरे होने के बाद प्रभावी आंकलन करने के निर्देश दिए और अधिक से अधिक स्वयं सहायता समूहों का पंजीकरण कराने पर जोर दिया।
