देवप्रयाग/टिहरी गढ़वाल (गिरिश भट्ट)
देवप्रयाग ग्राम खनाना फणिका में रिवर्स पलायन की उम्मीदें सरकारी लापरवाही की भेंट चढ़ रही हैं। लोक निर्माण विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी मकान सिंह ने अपने पैतृक गांव लौटकर यहां बसने की पहल की थी, किंतु आपदा और उसके बाद की उपेक्षा ने यह राह कठिन बना दी है।
आपदा में जहां उनके घर की आंगन की दीवार क्षतिग्रस्त हो गई, वहीं गांव की मुख्य सड़क पिछले 15 दिनों से पूरी तरह बंद पड़ी है। टिहरी जिले के विकास खण्ड व निर्माण खंड नरेंद्रनगर के अंतर्गत आने वाले इस मोटर मार्ग पर भूस्कलन मे विशाल बोल्डर गिरने से आवागमन ठप है।
गांव के मूर्ति सिंह, बलबीर सिंह, देव सिंह, गुलाब सिंह, मकान सिंह जैसे कई ग्रामीणों के आंगन भी आपदा से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। जिससे मकानों पर भी खतरा मंडरा रहा है और गांवो मे भी खेत-खलिहान पूरी तरह आपदा की भेंट चढ़ गए हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि रोजमर्रा का सामान लाने-ले जाने से लेकर सबसे बड़ी समस्या रोगियों को अस्पताल तक पहुंचाने की हो गई है। निर्माण सामग्री लाना तो लगभग असंभव हो चुका है, जिससे क्षतिग्रस्त मकानों की मरम्मत और पुनर्निर्माण भी रुक गया है।
सबसे गंभीर बात यह है कि संबंधित अधिकारियों को सूचना देने के बाद भी 15 दिनों से मार्ग अवरुद्ध होने के बावजूद विभागीय स्तर पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो पाई ।
ग्रामीणों का कहना है कि सरकार एक ओर रिवर्स पलायन को बढ़ावा देने के दावे करती है, वहीं दूसरी ओर ऐसी बुनियादी समस्याओं की अनदेखी लोगों को फिर से गांव छोड़ने को विवश कर रही है। विभागीय सुस्ती पलायन रोकने के सरकारी प्रयासों पर सीधे-सीधे प्रश्नचिह्न खड़ा करती है।
विजय कुमार अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग नरेंद्र नगर का कहना है कि पहले भी हमारे द्वारा इस मार्ग को खोलने का प्रयास किया गया था लेकिन वहां पर बहुत बड़े बडे पत्थर आने के कारण व्यवस्था नहीं हो पाई थी अब वहां पर पत्थर को तोड़ने के लिए जेसीबी और कंप्रेसर मशीन भेजी गई है और मार्ग जल्द ही खुल जाएगा
सहायक अभियंता अश्विनी कुमार यादव का कहना है कि यह रोड तीन जगह पर ब्लॉक हो रखी है जिसमें काफी मालवा पड़ा है और बड़े-बड़े बोर्डर भी पड़े हैं जिनको साफ करने में अभी दो-तीन दिन का समय लग जाएगा इन पत्थरों को हटाने में जेसीबी व कंप्रेसर मशीनों के द्वारा कार्य शुरू कर दिया गया है